केरल में खतरनाक Nipah virus से मौत, जानवरों से लेकर खजूर, लीची और अमरूद तक से भी फैल रहा ये संक्रमण
कोविड का कहर पूरी तरह से थमा नहीं कि अब एक और वायरस का मामला सामना आया है। केरल के कोझीकोड में 12 साल के एक लड़के की असामयिक मौत का कारण निपाह वायरस बना है। कोरोना के डेल्टा वेरियंट के बीच निपाह ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है और इस वायरस की मृत्यु दर 40-75% है जो कि वाकई एक चिंता का विषय है। खासकर केरल के लिए, क्योंकि 70 फीसदी कोविड केस उसी राज्य से हैं और अब निपाह के मामले की पुष्टि हुई है। याद रहे कि कोविड का पहला केस भी केरल में ही आया था और फिर पूरे देश में फैल गया। इसलिए हमें इस वायरस से सावधान रहने की बहुत ज्यादा जरूरत है।
यह एक जूनोटिक वायरस के रूप में भी जाना जाता है, जो NiV जानवरों (चमगादड़ या सूअर) से मनुष्यों या एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे में फैलता है। सूअरों और अन्य जानवरों में भी यह वायरस गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का कहना है कि पटरोपस चमगादड़ प्रजाति वायरस को फैलाने वाले जीव हैं।
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Nimph Virus |
मनुष्यों को संक्रमण होने की सबसे अधिक संभावना होती है यदि वे खजूर, अमरूद, आम और लीची जैसे फलों का सेवन करते हैं, क्योंकि ये चमगादड़ों के मूत्र या लार से दूषित होते हैं।
इसके अलावा संक्रमित जानवरों के आंशिक रूप से पके हुए मांस खाने से भी वायरस फैल सकता है। डब्ल्यूएचओ का यह भी मानना है कि अगर वे किसी संक्रमित जानवर के स्राव के संपर्क में आते हैं तो यह संक्रमण इंसानों में फैल सकता है। वर्तमान में, राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र की एक टीम ने 188 लोगों की पहचान की है जो मरने से पहले कोझीकोड में किशोरी के संपर्क में आए थे।
किनके लिए खतरनाक है निपाह
बेंगलुरु स्थित एस्टर आरवी अस्पताल के डॉ एसएन अरविंद कहते हैं, जब कोई संक्रमित व्यक्ति बुजुर्ग होता है, उसे सांस की समस्या होती है; तो ये संक्रमण एक इंसान से दूसरे में फैलता है। साल 1999 में पहली बार मलेशिया में सुअर किसानों के बीच NiV की सूचना मिली थी। 2001 के बाद से, बांग्लादेश ने निपाह का प्रकोप देखा है। WHO के अनुसार, संक्रमण के जोखिम वाले अन्य क्षेत्र थाईलैंड, फिलीपींस, कंबोडिया, इंडोनेशिया, घाना और मेडागास्कर हैं।
भारत में पहला निपाह प्रकोप 19 मई, 2018 को कोझीकोड जिले में दर्ज किया गया था। तब से, 1 जून, 2018 तक 17 मौतें और 18 पुष्ट मामले दर्ज किए गए थे। बाद में प्रकोप को नियंत्रित किया गया और 10 जून, 2018 तक घोषित किया गया। जून में 2019, 23 वर्षीय छात्र में कोच्चि से एक नया मामला सामने आया, जो बाद में ठीक हो गया। ताजा मामला भारत में पांचवीं बार और केरल में तीसरी बार वायरस का पता चला है।
निपाह के लक्षण क्या हैं?
संक्रमण ज्यादातर कोई लक्षण नहीं दिखाता है; यह असिम्टोमैटिक है। यह गंभीर श्वसन संकट और घातक एन्सेफलाइटिस (मस्तिष्क की सूजन) जैसी कई बीमारियों का कारण बन सकता है।
डॉक्टर अरविंद कहते हैं कि लक्षण आमतौर पर संपर्क में आने के चार से 14 दिनों के बीच होते हैं। संक्रमण के परिणामस्वरूप कई अलग-अलग बीमारियां हो सकती हैं जो बिना किसी लक्षण के हो सकती हैं।
कुछ मामलों में, अरविंदा कहते हैं कि एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम या एटिपिकल न्यूमोनिया भी संभावित इसके लक्षण हैं। इतना ही नहीं, NiV मस्तिष्क की सूजन का कारण बनता है और इससे मध्यम और गंभीर बीमारी हो सकती है, यहां तक कि मृत्यु भी हो सकती है।
डॉ पवित्रा ने कहा कि घातक वायरस के लक्षण वायरल बुखार के समान ही होते हैं। हालांकि, कभी-कभी वे सिरदर्द और कुछ सबसे खराब मामलों में - अटैकजैसे असामान्य लक्षण दिख सकते हैं। इसके अतिरिक्त गले में खराश, उल्टी भी हो सकती है।
क्या संक्रमण का इलाज है?
डब्ल्यूएचओ का कहना है कि इस संक्रमण का कोई इलाज या टीका उपलब्ध नहीं है, न तो लोगों के लिए और न ही जानवरों के लिए। लोगों के ठीक होने का एकमात्र तरीका देखभाल है। वर्तमान में NiV संक्रमण के लिए कोई उपचार नहीं हैं, इसका इलाज सिर्फ अपने आप की देखभाल तक ही सीमित है, जिसमें आराम, हाइड्रेट रहना और लक्षणों के उत्पन्न होने पर तुरंत उनका ट्रीटमेंट करना शामिल है।
एनआईवी से कैसे करें बचाव?
चूंकि इसका कोई टीका नहीं बना है लेकिन वैज्ञानिक इसकी वैक्सीन बनाने की तैयारी में जुटे हैं। हालांकि, इससे बचाव के लिए डॉ अरविंद ने कुछ सावधानियां बरतने के लिए कहा है। इनमें साबुन और पानी से बार-बार हाथ धोना, कच्चे खजूर के रस के सेवन से बचना, पेड़ों से गिरे फलों को न खाना, किसी जानवर द्वारा खाए गए मीट को आहार न बनाना शामिल है। इसके अतरिक्त आप जो भी फल - सब्जी खाते हैं, उन्हें से अच्छे से साफ करें। NiV संक्रमित लोगों के संपर्क में आने से बचें। सूअरों या चमगादड़ों के संपर्क में आने से भी बचें।
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